यह ऐसे समय में हुआ है जब तुर्किये भारत की सदस्यता वाले ब्रिक्स समूह में शामिल होने की कोशिश कर रहा है। एर्दोगन के इस कदम पर पाकिस्तान में बड़ी चर्चा छिड़ी है कि आखिर तुर्किए ने ऐसा क्यों कहा और हर बार की तरह इस बार भी कश्मीर का मुद्दा क्यों नहीं उठाया।