बिहार राज्य प्रसिद्ध महापर्व छठ पूजा जो पूरे देश के साथ साथ अब विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। छठ पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर सप्तमी तक मनाई जाती है। बता दें इस त्यौहार में भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना और अर्घ्य देने का विधान है। 6 दिन वाले इस व्रत को विवाहित महिलाएं विधिपूर्वक करती हैं। इसके साथ ही पुरुष भी अपने जीवन में आने वाले संकटों को ख़त्म करने के लिए भगवान सूर्य देव की पूजा उपासना करते हैं। ऐसा माना गया है कि इस व्रत को करने से लोगों को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और उनका जीवन खुशहाल होता है। आज इस लेख में हम आपको बताने जा रहे है कि इस वर्ष छठ पूजा, नहाय खाय और खरना किस दिन मनाया जाएगा? उनकी तारीख क्या है? आपको बता दें इस साल दिवाली दो दिनों का था, जिस वजह से छठ पूजा के डेट को लेकर भी लोगों में काफी असमंजस देखने को मिल रहा है।
बता दे, सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार छठी मैया को संतानों की रक्षा करने वाली देवी माना गया है। जिस वजह से छठ पूजा के दिन छठी मैया की पूजा का बहुत महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा के पर्व की शुरुआत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होती है। साथ ही इस पर्व की समाप्ति सप्तमी तिथि पर होता है। ऐसे में इस बार छठ महापर्व 05 नवंबर से लेकर 08 नवंबर तक मनाया जाएगा। बता दें, छठ पूजा के पहले दिन नहाय खाय किया जाता है। इस दिन जो व्रत करते है स्नान और भोजन करने का विधान है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार 05 नवंबर की तिथि को नहाय खाय मनाया जाएगा। इसके बाद छठ पूजा के दूसरे दिन खरना पूजा होती है। इस दिन महिलाएं नए मिट्टी के चूल्हे आम के पेड़ की लकड़ी को जलाकर उसपर खीर बनाती हैं। जिसके बाद उसे भोग के रूप में छठी मैया को अर्पित किया जाता है। इस दिन के पूजा के बाद व्रत की शुरुआत हो जाती है। पंचांग के अनुसार इस बार खरना पूजा 06 नवंबर को है।
खरना पूजा के अगले दिन यानी तीसरे दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पंचांग के अनुसार इस बार 07 नवंबर को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। और छठ पूजा के अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। साथ ही इसके बाद शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण किया जाता है। बता दें, इस पर्व की समाप्ति 08 नवंबर को है। कहा जाता है कि छठ पूजा के शुभ अवसर पर सूर्य देव और उनकी पत्नी उषा, प्रत्युषा की विधिपूर्वक उपासना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पूजा करने से जातक को छठी मैया की कृपा प्राप्त होती है।