भारत में एक ऐसा मंदिर जहां देवी मां अपने भक्तों की चील बनकर की थी रक्षा

भारत और पूरे विश्व में कई ऐसे प्राचीन मंदिर है जहां पहले कई अनोखी घटनाएं हो चुकी है। कुछ-कुछ मंदिरों का इतिहास काफी पुराना और उनकी मान्यताएं भी बेहद अलग है। हर मंदिर से जुड़ी उनकी अपनी एक कहानी होती है जिसकी वजह से वह काफी प्रसिद्ध होते हैं। आज हम आपको भारत देश में स्थित एक ऐसी देवी माता के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, इसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर देवी मां चील बनकर लोगों की रक्षा की थी। कहते हैं यहां रोजाना हजारों हजार की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने लिए पहुंचते हैं। इस मंदिर में देवी मां का दर्शन कर आप सच्चे मन से जो भी मनोकामना मांगते हैं मां उनकी मनोकामना पूर्ण करती हैं। आई आपको बताते हैं इस मंदिर के बारे में विस्तार से यह कहां स्थित है।

राजस्थान के मेहरानगढ़ दुर्ग में काली मां का एक ऐतिहासिक और विशाल मंदिर स्थित है। आपको बता दे मेहरानगढ़ की तलहटी में मां चामुंडा की इस प्रतिमा को स्थापित किया गया है। राजस्थान में जोधपुर की स्थापना के साथ ही इस मंदिर को स्थापित किया गया था। आपको बता दे मां चामुंडा देवी की पूजा आज से लगभग 561 साल पहले वहां के लोग कुलदेवी के रूप में पूजते थे। वैसे तो देवी मां के अनेकों रूप है लेकिन मां चामुंडा के लिए एक अलग कहानी है। राजस्थान के लोगों का मां चामुंडा के प्रति बहुत ही अटूट आस्था है। इस आस्था का कारण यह बताया गया है की वर्ष 1965 और 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान जोधपुर पर बम गिराए गए थे। तब उसे समय मां चामुंडा चील बनकर जोधपुर के लोगों की रक्षक बनकर आई थी।

इसके अलावा एक और कहानी के अनुसार जब जोधपुर के किले में 9 अगस्त 1857 में गोपाल पाल के पास रखें बारूद के ढेर पर बिजली गिरी थी तो, इस दौरान मंदिर तो टूट गया था लेकिन मंदिर के अंदर मूर्ति को एक खरोंच तक नहीं आई थी। जिसके वजह से जोधपुर के लोग मां चामुंडा को जोधपुर का रक्षक मानते हैं। आपको बता दे जोधपुर में स्थित मां चामुंडा के इस मंदिर के दर्शन के लिए 12 महीने श्रद्धालुओं की भीड़ लगे रहती है। ऐसा कहा जाता है कि मां चामुंडा के मुख्य मंदिर का निर्माण पूर्ण विधिवत रूप से महाराजा अजीत सिंह ने करवाया था। मां चामुंडा के चील रूप को मारवाड़ के राठौर दुर्गा मां का रूप मानते हैं। जयपुर की राजकुमारी महारानी जोधा को उनके माता-पिता ने आशीर्वाद में कहा था कि जब तक मेहरानगढ़ के दुर्ग पर चीलें मंडराती रहेंगे तब तक दुर्ग पर कोई भी विपत्ति नहीं आ सकती है। इस मंदिर में दिल से मांगी हर मनोकामना को मां चामुंडा देवी पूर्ण करती हैं।

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