डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको समेत चीन को भी टैरिफ की धमकी दी थी. इसे देखते हुए चीन अपने कड़ी मौद्रिक नीति में बदलाव पर विचार कर रहा है. इस वजह से चीन का विकास दर कम नहीं होगी भले ही उसका कर्ज बढ़ जाएगा.
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीतने के साथ ही घोषणा की थी कि अगले साल 20 जनवरी को पद संभालने के बाद वो कनाडा, मेक्सिको और चीन से आने वाले प्रोडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगाएंगे. ट्रंप अमेरिका में सभी तरह के आयात पर 10% और चीनी आयात पर 60% टैरिफ लगाने की प्लानिंग कर रहे हैं. इससे चीन के निर्यातकों को भारी नुकसान होने की संभावना है जिसे देखते हुए चीन अपनी मुद्रा की कीमत गिराने पर विचार कर रहा है.
अगर चीनी मुद्रा युआन कमजोर होगी तो अमेरिका को चीन का निर्यात अपेक्षाकृत सस्ता बना रहेगा जिससे टैरिफ का प्रभाव चीनी निर्यातकों पर कम होगा, चीन अपनी मौद्रिक नीति को लेकर बेहद सख्त है और एक दशक से भी अधिक समय के बाद ऐसा हुआ है कि चीन ने अपनी मौद्रिक नीति को लेकर कोई नरमी भरा बयान दिया हो.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, कुछ चीनी अधिकारियों ने सोमवार को संकेत दिया कि वो अगले साल की आर्थिक वृद्धि पर अमेरिकी टैरिफ का असर कम करने के लिए जो भी जरूरी होगा, वो उपाय करेंगे.
मुद्रा में अवमूल्यन से और कर्ज में डूबेगा चीन
पिछले 14 वर्षों से चीन के केंद्रीय बैंक ने जो रुख अपनाया था, उसके कारण चीन का कुल कर्ज 5 गुना से अधिक बढ़ गया. इसी अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई.
पोलित ब्यूरो शायद ही कभी नीतिगत योजनाओं का विवरण देता है, लेकिन इसके रुख में आए बदलाव से पता चलता है कि चीन अपने विकास को प्राथमिकता देते हुए और अधिक कर्ज में डूबने को तैयार है.
स्टैंडर्ड चार्टर्ड में ग्रेटर चाइना और नॉर्थ एशिया के मुख्य अर्थशास्त्री शुआंग डिंग कहते हैं, ‘चीन अपनी नीति में ढिलाई लाने की सोच रहा है जो एक बड़ा बदलाव है. इससे बाकी चीजों के लिए भी रास्ता खुल गया है.’
पेकिंग विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर तांग याओ का कहना है कि चीन का अपनी नीति में बदलाव करना जरूरी है क्योंकि अगर उसका विकास धीमा हुआ तो कर्ज चुकाना और मुश्किल हो जाएगा.