हैदरी मंजिल में बापू से मिलने के लिए राजनेताओं, छात्रों और बुद्धिजीवियों की भीड़ लगी रहती थी। महात्मा गांधी रू में स्थिति को शांत करने में कामयाब रहे, लेकिन 31 अगस्त को हिंसा फिर से भड़क उठी। इसके कारण उन्हें स्थायी शांति लाने के लिए 1 सितंबर को अनिश्चितकालीन उपवास की घोषणा करनी पड़ी।